Sunday, October 5, 2014

ma(mummy) ki moti gand mein mota bengan(brinjel) माँ की मोटी गांड में मोटे बैंगन बेटे ने देखे चोदते हुए

ये कहानी मेरे परिवार की है जिसमें मेरे पापा रमेश सिंह 45 साल माँ सुनीता 38 साल की दादा राम सिंह 62 साल के दादी 55 साल की मैं 18 साल का और दो मेरी बड़ी जुड़वाँ बहने 19 साल की प्रीति -प्रिया है मैं जब 12 साल का था तब से मैं अपनी माँ में कुछ अलग ही देखता आ रहा हूँ इक बार की बात है जब मैं 7वी क्लास में पढता था तब माँ अकसर मुझे पढाया करती थी रात को.उस रात मैं कुछ ज्यदा ही बेचन सी लग रही थी वो मुझे खडी खडी ही पढ़ा रही थी पता नहीं क्यों लेकिन मैंने कुछ कहा नहीं क्यों की मैं चाहता था की माँ कब मुझे पढाना बंद करे और अपने कमरे में जाये| उस दिन पापा तब मेरे रूम में आये और माँ को हाथ पकड़ के अपने कमरे में ले गये| (मेरी माँ serial (na boel tum naa bole hum) mein monu ki maa jaisi hai dikhane mein)

पापा को पता नहीं ऐसा क्या जरुरी काम था माँ से|मैंने देखा माँ जब मेरे रूम से बहार जा रही थी तो उनके कुल्हे कुछ चोअड़े चोअड़े से लग रहे थे माँ लंगड़ा कर चल रही थी मेरे रूम के सामने ही माँ और पापा का रूम है मेरी दोनों बहनों का रूम मेरे पास लगता है और दादा-दादी का रूम पापा के साथ वाला मतलब उनका रूम बठक है घर की..|
उस रात मैं माँ के जाते ही सो गया था लेकिन सुबह कोई 4 -5 बजे मुझे पेसाब का प्रेसर हुआ तो मुझे नींद खुल गयी जब मैं बाथरूम में गया तो मैंने देखा की कुछ खून की बुँदे फ़र्स पर गिरी है मुझे ये कुछ समझ नहीं आया लेकिन जब मैंने टॉयलेट में पेसाब करना चाहा तो वहा भी कुछ खून लगा था और मुझे टॉयलेट के जहा पानी रहता है उस छेद में कुछ पाइप सा पड़ा लगा तो मैंने अपने रूम से इक नुकीली चीज़ लेकर आया ताकि उस पाइप जैसी चीज़ को टॉयलेट के होल से निकल सकू| जब मैंने वो चीज़ निकली तो मेर होश ही उड़ गये वो पाइप जैसी चीज़ और कुछ नहीं बल्कि सब्जी में प्रयोग होने वाला मोटा लम्बा कला बैंगन था
जिस पर कंडोम भी चढ़ाया हुआ था मुझे उस समय कुछ समझ नहीं आया ये सब यहाँ पर जब मुझे समझ आया की खून और कंडोम और बैंगन |तब मेरा 6 इंच का लंड अपने आप कुछ कुछ खड़ा होने लगा| मैं समझ चूका था की ये खून कहा से लगा है मेरे दोस्त मुझे सब बताते थे चुदाई के बारे में|

मैं तब डरा हुआ भी था कही कोई यहाँ अब आ ना जाये| मैंने उस बैंगन को नापा तो वो 12 इंच का लंबा और 3इंच के असपास मोटा निकला|मैं ये सोच रहा था की इतना लम्बा मोटा बैंगन मेरे घर में कैसे आया |तब मैंने जायदा नहीं सोचा और वो बैंगन मैंने सही से फलश कर दिया टॉयलेट में| उस दिन सुबह जब मुझे माँ उठाने आई तो वो और भी ज्यदा लंगड़ा कर चल रही थी मैंने पूछा तो वो बोली की बेटा सीढियों से फसल गयी थी कल| फिर मैं अपने स्कूल चला गया और माँ घर पर ही दादा दादी के साथ रहती है और पापा पुलिस में है सो वो अपनी ड्यूटी पर चले जाते है जब मैं 3 बजे घर आया तो घर में बड़ी शांति सी लग रही थी दादा दादी भी नहीं दिखे अपनी बैठक में और जब मैं माँ के रूम में गया तो वहा माँ भी नहीं दिखी |मैंने पापा से फ़ोन किया तो पापा ने कहा की माँ डॉक्टर के गयी है बेटा | फिर कुछ देर में दादा दादी भी पड़ोसियों के घर से आ गये और मैं टीवी देखने लगा |

 कुछ देर में माँ भी आगयी और वो आते ही अपने रूम में चली गयी अपने चूतडो को मटकाते हुए| मैं उनके रूम में गया तो वो बेड पर अपनी मोटी गंड को ऊपर की और  करे लेती हुयी थी जैसे ही मैं गया माँ खडी हो गयी और मुझसे स्कूल के बारे में पूछने लगी और फिर कहा की तुम जाओ अपने रूम में और आराम करो और मुझे भी सोने दो आज मैं कुछ थक गयी हूँ ज्यदा ही| तब मैं अपने रूम में चला गया पर जब शाम के 6 बजे तो मैं माँ के रूम में गया तो मैंने देखा माँ अपनी मोटी गांड को फिर ऊपर किये हुये सो रही थी पर इश बार माँ ने इक सूती लोअर पहन राखी थी और निचे कुछ चडी वैगरा भी नहीं दिख रही थी ऊपर से|
उस वक़्त मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था मुझे माँ की मोटी गांड बार बार दिख रही थी और वो भी पूरी ऊपर की तरफ निकली हुई मुझे कुछ क्या हुवा था तब मैं नहीं जनता मैंने रूम का दरवाजा तब अंदर से बंद करके जल्दी से माँ की लोअर को उसकी गांड से कुछ निचे की और उठा के खीचा मुझे तब माँ की गांड की घाटी (दरार ) ही दिखी लेकिन मैंने फिर कुछ लोअर ऊपर की और की तो मुझे कुछ सफ़ेद सा माँ की गांड में डाला हुआ मिला जब वो सफ़ेद को मैंने अपने हाथ से छुवा तो पता चला की वो तो कोई दवाई सी है

मुझे कुछ समझ नही आया और तब तक मेरा शरीर अकड़ गया और मैंने लोअर को छोड़ दिया क्युकी मेरे लंड से पानी निकलने लगा था और मैं बाथरूम की और भागा |माँ को कुछ पता चलना ही नहीं था क्युकी मेरी माँ को नींद की गोली लिए बिना कभी नींद ही नहीं आती है इश लिए मैं बेखोफ़ था लेकिन मुझे ये कुछ समझ नहीं आया की ये माँ की गांड में दवाई कैसी भरी हुई थी....

पापा जब घर आये तो मोटे लम्बे वाले बैंगन लाये और साथ में पता नहीं इक काली थाली में क्या था उन्होंने सब्जिया तो मुझे दे दी पर वो कलि थाली खुद माँ के पास कमरे में ले गये |
मैं भी पापा के साथ जल्दी -जल्दी कमरे में गया तब मैं कमरे में गया तो देखा माँ सोयी हुयी थी ऊपर मोटी गांड किये हुए | पापा ने जाते ही मुझे रूम से बहार भेज दिया और डोर लोक कर लिया अंदर से |लेकिन मैंने देखने की अंदर ही अंदर जिद्द की और मैंने चाबी के छेद से डोर के अंदर झाका तो अंदर जो हो रहा था वो मैं देखता ही रह गया | अंदर पापा ने माँ की पूरी लोअर निकल राखी थी और उनकी गांड में इक लम्बा मोटा बैंगन जो उन्होंने सायद खुद के पास रख लिया था उसको इक कंडोम में डालकर माँ की गांड में डालना चाहा | सायद माँ के सोये हुए होने के कारण गांड बड़ी टाइट थी इश लिए बैंगन अंडर नहीं जा रहा था तब पापा ने ज़ोर लगा के 10 -11 का वो बैंगन सोयी हुयी माँ की गांड में फस्सा डाला |तभी माँ भी इक दम से उठ कड़ी हुई उन्होंने इक दम से वो बैंगन अपनी गंड के ज़ोर से बहार निकल डाला और वो बैंगन उनकी गंड से पॉप की आवाज़ के साथ बहार निकल कर बेड पर गिर पड़ा और माँ रोने लगी ज़ोर ज़ोर से|

पापा ने गुस्से से पूछा हरामजादी आज क्या हुवा कल तो सारा डलवा गयी थी पूरा रात को अब क्या हुवा.| और ये तो कल वाले से भी कम लम्बा है तब माँ ने कहा कल रात की वजह से मेरी गांड का छेद सुजा हुवा है मैं डॉक्टर के पास इसी लिए गयी थी |
आज आज मुझ पर रहम कर लो बस मुझ पर कल से ये सब दाल लेना प्लीज़ | ये कहते ही पापा ने गाली देना सुरु कर दिया बहनचोद तुझे मैं कुछ करू कैसे करू समझी और ये कह कर पापा ने अलमारी से इक टेप और रस्सी निकाली और माँ को पकड़ कर उनके मुह पर लगा दी और माँ को बेड पर उनकी गांड ऊपर करके फेक दिया |

माँ की गांड का छेद काफी सुजा और गोल गोल सा लग रहा था तभी पापा ने वो बैंगन उठाया और माँ की गांड में इक दम डाल दिया माँ सायद रो रही थी | फिर पापा ने उनकी गंड के ऊपर भी कई बार टेप लगा दी ताकि बैंगन बहार ना निकले | फिर माँ के हाथ भी बांध दिए और माँ की  लोअर उनको पहना दी | और इक चदर माँ के ऊपर दाल दी | मुझे भी ना चाहते हुए पता नहीं क्यों माँ के साथ जो हो रहा था उससे मजा आ रहा था फिर माँ के पैर भी बंद दिए और पापा बहार की तरफ आने लगे तभी मैं अपने रूम में भाग गया और पापा को पता नहीं चला की मैंने सब देख लिया है मैं अपने बेड पर बैठा सोच रहा था की ये माँ के साथ क्या हो रहा है क्या पापा नामर्द हो चुके है या फिर माँ के ऊपर जुलम ढाह रहे है तभी पापा ने मुझे बुलाया और कहा की जाओ होटल से खाना ले आओ आज माँ की तबियत ठीक नहीं है मैं खाना लाने गया |और वापस आया तब तक मेरी दोनों बहने भी घर आ चुकी थी टूसन पढ़ कर | अब माँ के रूम का दरवज़ा खुला था मेरी दोनों बहने माँ के पास बैठी थी और बाटी कर रही थी | फिर हमने खाना खाया लेकिन माँ को पापा ने बिस्तर पर ही खाना खिलाया |पापा ने सब कुछ हैंडल कर लिया था केवल मुझे ही पता था घर में की माँ की गांड में कितना मोटा लम्बा बैंगन फसा हुआ है ये सोच कर मैंने अपने रूम में ही मुठ मार दी लेकिन फिर भी लंड खड़ा ही था

जब रात के 10 बजे सब सोने चले गये तब मैंने करीब 11 बजे पापा के रूम में दरवाजे के चाबी के छेद से अंदर देखा मैंने देखा की माँ बिलकुल नंगी थी माँ को पापा ने रस्सी से बांध कर कुतिया की तरह झुका रखा था और माँ की मोटी गांड से वो बैंगन बहार आ रहा था जब भी वो बैंगन माँ की गांड के छेद से बहार आने लगता पापा इक दम से अपने हाथ में ली हुई छड़ी से उसको अंदर धकेल देते जिससे माँ इक दम से आगे की तरफ कुछ कुछ हो जाती माँ के मुह पर पापा ने फिर से टेप लगा रखी थी

मैं दरवाजे से करीब सुबह के 4 बजे तक देखता रहा तब तक वो मोटा लम्बा बैंगन माँ की मोटी गांड में ही फस्सा हुवा था फिर 4:20 के आसपास पापा माँ को बाथरूम जाने के लिए ले गये तब मैं अपने रूम में चला गया था और अपने रूम के चाबी के छेड़े से देख रहा था
माँ की गांड में सारी रात इतना मोटा लम्बा बैंगन था और जब वो चल रही थी तब भी था फिर पापा माँ को बाथरूम में ले गये और कुछ देर बाद जब माँ अपने रूम में आई तो वो कुछ जल्दी जल्दी चल रही थी इसका मतलब की वो बैंगन माँ ने टॉयलेट में डाल दिया होगा पर तब माँ की गंड लोअर में बहुत मस्त लग रही थी गांड बिलकुल खुली लग रही थी और लगे क्यों नहीं गी सारी सारी रात मोटे बैंगन जो लेती है.....

फिर पापा भी गये रूम में और फिर मैं अपने बेड पर सोने के लिए चला गया पर मुझे ये समझ नहीं आया की माँ ये सब क्यों झेल रही है और कितने समय से झेल रही है मैंने इश बात का पता लगाने की ठान ली और सोचा की अब से मैं माँ के ज्यदा से ज्यदा साथ रहूँगा उन पर नजर रखूँगा | सुबह होते ही मुझे जगाने मेरी माँ आई मैं उठ गया और मैंने पूछा आपकी तबियत कैसी है तो माँ बोली अब ठीक है पहले से कुछ कुछ बेटा |फिर मैंने अपने पेट दर्द का बहाना मार के घर रह गया केवल मेरी बहने ही स्कूल गयी |मैं आज घर पर था और माँ और दादा और दादी ही थे जब मैं रसोई में फ्रिज से पानी पीने गया तो माँ भी साथ आ गयी कुछ काम से और वो रसोई की कुछ सफाई करने लगी तभी मैंने सोचा कुछ न माँ के कुछ मज़ा लिए जाइये और फिर मैंने फिर्ज़ खोल कर माँ से कहा की माँ ये इतने बैंगन क्यों लाती हो आप मुझे इनकी सब्जी अच्छी नहीं लगती |ये सुन कर माँ कुछ देर रुक गयी और बोली बेटा इन सब्जियों का टेस्ट इतना बुरा तो है नहीं और ये तो घर में सभी को पसंद है...

फिर मैंने पूछा की माँ आपको भी पसंद है क्या ये बैंगन | ये सुनते ही माँ ने मेरी तरफ कुछ अजीब से देखते हुए कहा हां पसंद तो है बेटा और माँ ने मुझे बच्चा समझ कर दोहरी बातो में कहा की ये बैंगन खाने से शरीर लम्बा और चोअडा हो जाता है फिर मैंने माँ से मासूम बनते हुए कहा की माँ तुम कितने बैंगन खा सकती हो तो माँ ने मुस्कुराते हुए मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहा की मुझे जितनी भूख होती है
मैं उतने ही खा सकती हूँ फिर माँ ने कहा की तुम आराम कर लो मैं भी करती हूँ ये कह कर माँ अपनी मोटी चोअडी गांड को मटकाते हुए अपने रूम में चली गयी मैं भी उनके रूम की तरफ आने लगा तभी माँ का फ़ोन बजा और माँ ने उठाया मैं माँ के रूम के बहार ही था माँ ने अपनी इक सहेली का नाम लिया बात करते हुए और कह रही थी आजकल तो तेरे जीजा मुझे मार ही डालेंगे |     फिर माँ ने कहा वो तो बिलकुल भी दया नहीं करते हर रोज पीछे मोटे मोटे लम्बे वाले बैंगन डालते रहते है फिर माँ ने कहा की तूने पता नहीं ऐसा क्या बता दिया उनको जो वो मुझे तुम्हारी तरह ही बनाना चाहते है पता है तुझे पिछले कुछ दिनों में उन्होंने इक दिन भी ऐसा नहीं जाने दिया होगा की मेरी गांड कभी खाली छोड़ी हो हर दम वो चाहते है की मेरी गांड में कुछ न कुछ फ़साये तडफती रहूँ |

और तुझे पता है की अब तो मेरी गांड का छेद कभी बंद ही नहीं रहता है वक़्त 2-3 इंच खुला सा ढीला सा रहता है फिर माँ ने जो कहा वो तो सुन कर मेरे होश ही उड़ गये .नहीं अभी तो केवल बैंगन ही डालते है क्या वो इक कुत्ता भी लाने की कह रहे थे माँ ने फिर पूछा  की कुत्ते का क्या करेगा अब | फिर माँ ने उसको जवाब दिया नहीं यार मैं तो मर ही जाउंगी अब तो पहले ही सारे दिन बैंगन डाले रहती हूँ और ऊपर से वो कुत्ता भी लायेंगे तो | प्लीज़ उनको समझाना ये कुत्ते तू ही अपने ऊपर चढवा सकती है मुझ में इतनी हिम्मत नहीं है हा 11 -12 तक तो अब मैं आराम से ले लेती हूँ क्या कुत्ते का 15 से भी बड़ा होता है हे राम लगता है मुझे तो चोद चोद कर मरना चाहते है खुद तो केवल मेरे मुह को चोदते है और बाकी सब बैंगन से |  अच्छा ठीक है फिर फ़ोन करने लेना ओके.|
 मैं मेरी माँ को अब तक भोली ही समझ रहा था लेकिन ये तो बड़ी चुदाकड़ निकली और बड़ी चुदास्सी बातें करके मेरा लंड खड़ा कर दिया मैं तभी अपने कमरे में जा कर मुठ मार आया........अब हर रोज यूँ ही चलता रहा 5 दिन तक माँ की गांड में पापा सुबह मोटे बैंगन डाल देते और शाम को निकालते और फिर सारी रात फिर गांड में मोटे बैंगन भर देते सुबह तक के लिये.....|

फिर छट्टे दिन पापा ने घर में कहा की हम घर में इक जर्मन कुत्ता भी रखेंगे जो की हमको सस्ता ही मिल रहा है तो घर में किसी ने भी कोई आपति नहीं जताई और पापा ने कहा की कल हमारे घर में इक कुत्ता होगा जो हमरे साथ ही रहेगा..............next part cooming soon

6 comments:

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